Wednesday 27 May 2015

हमारे प्रधान सेवक




हमारे प्रधान जी  सेवक की हस्ती इतनी महान, 
दिन रात जनता उनकी करती है गुणगान। 
छप्पन इंच का सीना लेकर करते चौकीदारी, 
श्रीनगर में आतंकियों की हो रही खातिरदारी। 

खान-पान का खासतौर से रखते हैं खूब ध्यान,
चाहे फाका कर रहे हों मज़दूर और किसान। 
जहाँ कहीं भी जा रहे हों कनाडा या जापान, 
निजी खानसामा साथ में ले जाते हैं श्रीमान। 

सजने और सँवरने का खूब है इनको चस्का,
दस लाख का सूट देकर चमचे लगाते मस्का।
कभी सिंग तो कभी पगड़ी का करते इंतज़ाम, 
जैसे बूढी घोड़ी पर लागे लाल रंग का लगाम।

शिष्टाचार में नहीं मिलेगा इनका कोई सानी,
पुरातन  कलाकृतियों से करते हैं छेड़खानी। 
जब कभी भी सुन्दर चीज़ पर पड़ती है नज़र, 
टंगड़ी  उठाकर श्वान मुद्रा करते हैं मान्यवर।

इतिहास के नए पहलुओं का देते हमको ज्ञान,
कान में कील चुभने से बुद्द्ध के गए थे प्राण।
बिहार में है तक्षशिला, बापू थे  मोहनलाल, 
ये सुनकर इतिहास शास्त्री नोच रहे हैं बाल। 

दयालु तो इतने हैं कि आँखों में आता पानी ,
जब भी सामने पड़ जाता भूखा गरीब अदानी।
द्रवित होकर ठेका देने का कर देते  ऐलान,
लोन के लिए जारी करते बैंकों को फ़रमान।

भोले तो इतने हैं और मन के इतने स्वच्छ,
बचपन में छिपकली को कहते थे मगरमच्छ।
ओबामा को बराक बुलाते, भूटान को नेपाल,
हरकत  से बौड़म हैं, बुद्धि ठन ठन गोपाल। 

यारों के यार हैं और लुटाते उन पर जान,
अम्बानी पर न्योछावर है तेल गैस के खान। 
टाटा,मित्तल, रुइया, सब हो रहे मालामाल,
दोस्तों का इतना महोदय रखते हैं खयाल। 

दृढ़ बहुत है निश्चय इनका वादे के हैं  पक्के
मंत्री बना रखे हैं  बलात्कारी और उचक्के।
काला धन वापस लाने को लेंगे ठोस कदम,
यही जुमला फेंक कर नाक में कर दिये दम। 

जहाँ कहीं भी सरकार उनकी हो जाती है फेल, 
आनन-फ़ानन  भाषण जा कर दे आते हैं पेल।  
भाषण सुनकर भक्त मीडिया करती जयजयकार 
सेल्फ़ी लेकर धन्य हो  जाते बिकाऊ पत्रकार।
 

 





















 

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